Thursday, December 7, 2017

Sunday, March 22, 2015

IGNOU MSW BSW Field Work Journal Concurrent Visit Reports


Hello friends…
Contact Mr. Harish Chandra @ 9716980784 if you are looking for any kind of help for the IGNOU MSW BSW Field Work Journal.
If you are facing the problems in making the Concurrent Visit Reports, contact.
Harish Chandra has been completed the MSW from IGNOU.
http://www.netsocialwork.com/
Contact Details
Harish Chandra (MSW)
#09716980784
Email – harishchandra123@gmail.com

Visit Social Work NET preparation tips.

Yamuna Aarti Sonia Vihar Dhai Pusta

Attend the Yamuna Aarti Sonia Vihar Dhai Pusta  at 6PM daily.
Jai Maa Yamuna.


Tuesday, March 3, 2015

Chesta Khulbe Sonia Vihar

Chesta Khulbe who lives in Sonia Vihar and enjoying ice-cream near the bank of the River Yamuna.

Thursday, June 26, 2014

Facebook Jokes Shayaris Messages Chutkulas

गली के कोने पर बहुत देर से खड़े एक
आदमी को पुलिसवाले ने
पकड़ लिया और पूछा तेरा नाम क्या है
आदमी - शेर सिंह
पुलिसवाला - बाप का नाम
आदमी - बाघेंद्र सिंह
पुलिसवाला - कहाँ जा रहा है
आदमी - शेरा वाली गली में
पुलिसवाला - शेरा वाली गली में किधर
आदमी - टाइगर मेनसन्
(
पुलिसवाला सोचता है हद है यार शेर से नीचे
तो बात
ही नही करता है)
पुलिसवाला - टाइगर मेनसन् में किसके घर
आदमी - सिंघानिया जी के घर
पुलिसवाला - सिंघानिया जी का क्या काम है
आदमी - बाघमारे जी का संदेशा देना है
पुलिसवाला - क्या संदेशा है
आदमी - बाघेला जी ने
पार्टी छोड़ दी है
(
पुलिसवाला एक साथ इतने सारे शेर, हद है यार शेर से
नीचे
तो बात ही नही करता है)
पुलिसवाला -एक बात बता ये जो हाथ में थैले में क्या है
आदमी - आटा
पुलिसवाला - कैसा आटा
आदमी - सिंघाड़े का
(
पुलिसवाला बड़ा जंट आदमी है शेर से
नीचे तो बात
ही नही करता है)
पुलिसवाला - अब मैं तुझ से सवाल पूछता हूँ अगर उसमें
भी शेर
आए तो मानुंगा. अच्छा ये बता अभी तू कहाँ से
रहा है
आदमी - लायंस क्लब
की मीटिंग से
पुलिसवाला - तो फिर तू जाता क्यूँ नहीं है?
यहाँ क्यूँ
खड़ा है इतनी देर से??
आदमी - वो सामने दो कुत्ते भौंक रहे हैं कैसे
निकलूं ?


Wednesday, June 25, 2014

दिल के टूटने पर भी हसना

''दिल के टूटने पर भी हसना ...शायद ज़िंदादिली इसे कहते है .
ठोकर लगने पर भी मंजिल तक भटकना ,
शायद तलाश इसी को केहते है .
किसी को चाह कर भी ना पाना ,
शायद चाहत इसी को कहते है।
टूटे खहनडरो मैं बिना तेल के दिये जलाना शायद उम्मीद इसी को कहते है।
गिर जाने पर भी फिर से खड़ा हो जाना ,
शायद हिमम्त इसे ही कहते है 
ओर ये उम्मीद ,तलाश, हिमम्त ,चाहत,.......
''
शायद जिंदगी इसी को कहते है''